हर साल 13 सितम्बर (लीप वर्ष में 12 सितम्बर) को पूरी दुनिया में प्रोग्रामर्स डे मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस तारीख को ही क्यों चुना गया? इसका जवाब छिपा है कंप्यूटर की बाइनरी दुनिया और कोडिंग की शक्ति में।
क्यों चुना गया 13 सितम्बर? “256” का रहस्य
कंप्यूटर की भाषा बाइनरी (0 और 1) है।
- कंप्यूटर की मूल इकाई बाइट (Byte) होती है, जिसमें 8 बिट (bits) होते हैं।
- इन 8 बिट्स से कंप्यूटर 2⁸ = 256 अलग-अलग मान (0 से 255 तक) प्रदर्शित कर सकता है।
यही कारण है कि साल का 256वाँ दिन प्रोग्रामर्स डे घोषित किया गया।
- साधारण वर्ष (365 दिन) में 256वाँ दिन 13 सितम्बर पड़ता है।
- लीप वर्ष (366 दिन) में 256वाँ दिन 12 सितम्बर पड़ता है।
प्रोग्रामर्स डे का इतिहास
- प्रोग्रामर्स डे का विचार सबसे पहले रूस में शुरू हुआ।
- साल 2009 में रूस ने आधिकारिक रूप से इसे प्रोग्रामर्स का त्योहार घोषित किया।
- धीरे-धीरे यह दिन दुनियाभर के डेवलपर्स और आईटी कंपनियों द्वारा मनाया जाने लगा।
प्रोग्रामर्स इसे कैसे मनाते हैं?
- कोडिंग मैराथन या हैकाथॉन आयोजित किए जाते हैं।
- डेवलपर्स अपने बनाए प्रोजेक्ट या कोड ओपन-सोर्स समुदाय में शेयर करते हैं।
- सोशल मीडिया पर #ProgrammersDay के साथ मजेदार कोडिंग मीम्स और पोस्ट ट्रेंड करते हैं।
- कई टेक कंपनियाँ इस दिन अपने प्रोग्रामर्स को सम्मानित करती हैं।
क्यों है खास यह दिन?
प्रोग्रामर्स सिर्फ वेबसाइट या ऐप ही नहीं बनाते, बल्कि आज की डिजिटल दुनिया की रीढ़ (Backbone) हैं।
- ऑनलाइन बैंकिंग, ई-कॉमर्स, हेल्थ टेक, गेम्स और यहां तक कि स्पेस मिशन भी प्रोग्रामर्स की वजह से संभव हैं।
- प्रोग्रामर्स डे हमें याद दिलाता है कि कोड ही भविष्य है।
✨ तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे कि 13 सितम्बर को क्या खास है, तो आप आत्मविश्वास से कह सकते हैं –
यह है Programmers’ Day, यानी कोडर्स का त्योहार!